बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक,भारतरत्न से शुशोभित महामना पंडित श्री मदन मोहन मालवीय जी की जयंती पर उन्हें अपना श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। एक संस्मरण- एक बार बचपन मे हमारे परम संत सदगुरुदेव,दादा जी(गुरु जी के बड़े भाई) अपनी अम्मा के साथ अपने ननिहाल डिहवा,रिसिया गये थे।वहां पर हर साल भागवत होती थी उसी क्रम में इस वर्ष भी भागवत बहुत ही योग्य वक्ता पंडित बेनी माधव द्वारा हो रही थी।भागवत में ही किसी जगह पर श्री दादा जी ने उनकी कही बात पर आपत्ति जाहिर की और उस आपत्ति को पंडित जी ने स्वीकार किया। फिर पंडित बेनी माधव जी बनारस वापस गये और प्रदोष मंडल की बैठक में इस बात को रखा उस प्रदोष मंडल के सदस्य सब बड़े विद्वान लोग थे तथा प्रभारी पंडित मदन मोहन मालवीय जी थे। उन्होंने जब बेनी माधव जी की बात सुनी तो वह भी आश्चर्यचकित रह गये कि इतना छोटा बालक इतना विद्वान कैसे हो सकता है जो आपत्ति उसने लगाई है वह गलती काफी समय से चली आ रही है उन्होंने उस की हुई आपत्ति पर सुधार कराया और मिलने की इक्छा से वह बहराइच आये।पहले वह पंडित भगवान दीन मिश्र के आवास,ब्राह्मणी पुरा गये उन्होंने अपनी बात बताई तो उन्होंने बताया कि हाँ यह बात सत्य है यहाँ बशीरगंज में श्री महावीर प्रसाद जी एडवोकेट हैं उन्ही के बेटे के रूप में दो अवतारी बालक हैं।पूरा परिवार भक्ति मय वातावरण से ओत प्रोत है और स्वयं श्री राधा स्वामी मत से जुडे हैं। दोनों लोग बशीरगंज पहुँचे।श्री दादा जी और श्री गुरु जी दोनों लोग खेल रहे थे।वकील साहब ने पंडित भगवानदीन और मालवीय जी को वकालत खाने में बिठाया उन्होंने अपनी बात बाबू पिता जी को बताया दोनों बच्चो से मिलने की बात कही,बाबू पिता जी ने दोनों(दादा जी और गुरुजी) को मिलने के लिए बुलाया।मिलने के उस दृश्य को लिखा या कहा नही जा सकता है।इतने बड़े सनातन धर्म के अवतार के रूप में मालवीय जी और श्री बाल वैरागी भगवान के रूप में इतने छोटे हमारे दादा जी। मालवीय जी ने श्री दादा जी का चरण स्पर्श किया। खैर वार्त्तालाप हुई और मालवीय जी की जो जो जिज्ञाशा थी उसका श्री दादा जी ने समाधान किया। श्री मालवीय जी ने श्री दादा जी से बनारस चलने की बात कही तो उन्होंने इंकार कर दिया कि मेरी सांसारिक उम्र बहुत कम है इस लिए किसी बंधन में हमे रहना नहीं है। पुनः वह वापस चले गए और अपने ईस्वर नामक ग्रंथ में इस घटना को विस्तृत रूप से दशार्या है। आज उनकी जयंती पर स्मरण हो गया।
यह घटना श्री गुरुदेव भगवान के श्री मुख के ज्ञात हुई थी।
By:- Shailendra Kumar Gupta
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